देखा जाये तो आमतौर पर मार्केट में बवासीर के उपचार के लिए कई नामी गिरामी दवाइयों की भरमार है जिनमे से कुछ एक के उपयोग से रोगीयो को बवासीर की पीड़ा से कुछ समय के लिए आराम भी मिल जाता है लेकिन ये आराम अस्थाई होता है जैसे ही रोगी किसी भी विषम परिस्थिति (जैसे उसका खान पैन , दैनिक कार्य प्रणाली, वातावरणीय प्रभाव या उसकी शारीरिक प्रवर्ति)जो उसके दैनिक जीवन का हिस्सा भी हो सकती है से गुजरता है यह परेशानी पुनः और अधिक व्यापक रूप में रोगी के सामने खड़ी हो जाती है.
इसमें विपरीत अगर हम बात करे बवासीर के ऑपरेशन की तो इसके लिए मुख्यतः तीन तरह की उपचार पद्धतिया उपलबध है
(A) सिजेरियन ऑपरेशन
(B) लेज़र ऑपरेशन
(C) क्षार-सूत्र
जिनके माध्यम से सामान्यतः बहरी सतह पर नजर आने वाले एक्सटर्नल हेमोर्रोइड्स (बवासीर के बाह्य मसो) को इन तकनीकों की मदद से काट कर अलग कर दिया जाता है मगर इनकी रूट्स और आंतरिक मसे दोनों ही अंदर ही रहते है जो पुनः अनुकूल परिस्थियाँ मिलने पर बाहर आ जाते है साथ ही ऑपरेशन के माध्यम से काटे गए मसो की रूट्स अक्सर फिस्टुला को जन्म दे देती है अतः किसी भी ऑपरेशनल प्रोसेस को बवासीर के उपचार के लिए उचित नहीं माना जा सकता है, क्योकि उपरोक्त किसी भी उपचार के माध्यम से बवासीर को जड़ से ख़त्म करने के कोई भी पुख्ता प्रमाण वर्तमान तक मौजूद नहीं है;
अतः इस बीमारी के सम्पूर्ण निराकरण के लिए सिर्फ "एंटी -पाइल्स कम्पलीट रेसोलुशन" को ही एक मात्र सही व उत्तम उपचार कहने में कोई अतिसंयोक्ति नहीं होंगी.